भारत के गुमनाम एथलीट पान सिंह तोमर की ज़िंदगी पर आधारित तिग्मांशु धूलिया फिल्म ‘पान सिंहतोमर’
बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई कर रही है और दर्शकों द्वारा काफी पसंद भी की जा रही है। हालात से
मजबूर होकर हथियार उठाने वाले डकैत पान सिंह के बारे में कम ही लोग जानते हैं। चंबल के एक गांव के निवासी पान सिंह सात साल तक लगातार एथलेटिक्स के नेशनल चैंपियन रहे, मगर हालातों से मजबूर होकर वह डकैत बन गए। अपनी जमीन का हक पाने के लिए वे आठ साल तक जूते घिसते रहे। आखिर हालात से विवश होकर उन्होंने बंदूक उठाने का निर्णय लिया।
शायद २ साल से भी अधिक हो गये हों मुझे कोई पूरी फिल्म देखे हुए .पिपली लाइव के बाद पान सिंह तोमर मैंने फिल्म देखि है ...और भारत के गुमनाम एथलीट पान सिंह तोमर...के बारें मे जानने का मुका मिला .
मन सिंह तोमर का जीवन कथा के बारें मे मैंने कुछ जानकारी ली .लकिन असे कितने खिलाडी होंगे .जिनका हमने कभी जीकर तक नही सुना होगा .एक शब्द ही किसी व्यक्ति की जीवन बदल देता है .और एक शब्द ही पूरा जीवन नरक बनना सकता है .अगर हमारी फिल्मे ,बचो की शिक्षा हमारे धर्म ,और देश भगतो पर आधारित हो .उस का जो फायेदा होगा उस का वर्णन नही किया जा सकता . इन सब के आभाव के कारन हम पाश्चात्य जगत के अंधकार मे गिरे जा रहे है .
3000 मीटर स्टीपलचेस में सात बार के राष्ट्रीय चैम्पियन, 1958 के
टोक्यो एशियन खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सूबेदार पान सिंह तोमर को चम्बल का नामी डकैत बनना पड़ा था... और एक अक्तूबर 1981 को पुलिस एनकाउन्टर में उनकी मौत हुई..