भारत के गुमनाम एथलीट पान सिंह तोमर के जीवन के बारें मे मैं अपने ब्लॉग पर 2 बार लिख रहा हूँ . पहली बार जब मैंने उनकी फिल्म पान सिंह तोमर देखि थी .
पान सिंह तोमर एक राजपूत परिवार से थे . 300 000 मीटर स्टीपलचेस में सात बार के राष्ट्रीय चैम्पियन,
1958 के
टोक्यो एशियन खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सूबेदार पान
सिंह तोमर को चम्बल का नामी डकैत बनना पड़ा था... और एक अक्तूबर 1981 को पुलिस
एनकाउन्टर में उनकी मौत हुई..
किसी ने सहीं कहाँ है लोहे को लोहा की काट सकता है . येही बात लागु होती है पान सिंह तोमर पर भी .
अर्जुन सिंह उस समय के मुख्या मंत्री राजपूत थे .
एस .पी चौहान जिन्हें पान सिंह तोमर को जिन्दा या मुर्दा पकड़ने का जेम्मा सोप गया . एस .पी चौहान भी राजपूत ही थे .
पान सिंह तोमर भी राजपूत परिवार से ही थे .
अब यहाँ अर्जुन सिंह भी राजपूत, एस .पी चौहान , पान सिंह तोमर भी राजपूत ही थे . सहीं है एक शेर को मुकाबला एक शेर ही कर सकता है . नाकि कोई गिदर ..इसी लिए सर्कार ने एक राजपूत को इस का जुमा सोप्पा . हमारे राजपूतो के विनाश का कारन भी हम राजपूतो का आपसी मतभेद है इस का इतिहास गवा है
अगर कोई राजपूतो का दुश्मन है वो हमारे आपसी झगडे है . इतिहास से हमे प्रेरणा लीनी चाहियें .
अब मैं आप को पास सिंह तोमर के एनकाउंटर के बारें मे मुझे जो जानकारी मिली है उसे मैं आप सब से साझा करना चाहता हूँ।
उस समय के D.S.P एस .पी चौहान थे .आज तक पर बताया की वो बड़े निडर व्यक्ति थे . उस समय अर्जुन सिंह की सरकार थी .और एस .पी चौहान को इस का जिम्मा सोप गया .
अर्जुन सिंह ने पान सिंह तोमर को जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के लिए पूरी फोरस लगा दी थी . दिल्ली से 10,000 हजार सैनिक मंगवाएं गये . उस समय पान सिंह तोमर पर करोड़ो रूपये खर्च हुए .परन्तु पान सिंह तोमर को पकड़ने मे चौहान और अर्जुन सिंह के पसीने छुट गयें . एक बिगड़े हुए राजपूत का सामना राजपूत ही कर सकता है . इस बात का अर्जुन सिंह को भली बहाती पता था .
पान सिंह तोमर से आमने सामने की लडाई हुयी . परन्तु कोई सफलता नही मिली . वहां उन्होंने एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी का झांसा दिया .और पान सिंह के बारें मे जानकारी ली . धोके से पान सिंह तोमर पर फायरिंग हुयी .और सुबह 03:30 पान सिंह तोमर की मौत हो गई .
एक सैनिक जिसने अपनी अधि से ज्यादा जिंदगी अपने देश की सेवा के लिए दी . और देश का नाम रोशन किया .आखिर क्यूँ उन्हें हत्यार उठाने की जरुरत पड़ी .
हमारी सरकारों को देश भगतो को कोई चिंता नही है . हाँ जिन्होंने हजारो लोगो को मारने वाले अफजल गुरु जैसे देश द्रोहियों को पूरी सहूलियत , हीरो बना कर रखा गया है .
बड़ी शर्म की बात है हमारे सेकुलर नेता भी फांसी माफ़ करने की मांग कर रहे है .
अगर पान सिंह के साथ इंसाफ होता तो शयदडकैत पान सिंह नही सूबेदार पान सिंह होते .
अगर पान सिंह के साथ इंसाफ होता तो शयदडकैत पान सिंह नही सूबेदार पान सिंह होते .
हम आज एक बनेर के नही है .इसका फायेदा राजनीती मे भी उठाया जा रहा है .
आप से हरयाणा के पुलिस फाॅर्स आंकड़े साझा करूँगा . हरयाणा मे 33 % राजपूत है परन्तु पुलिसे भारती मे केवल 1% राजपूतो की भी भारती की गयी .हमारे पास सब कुछ है राज हमारे पास थे ,जमीने हमारे पास थी फिर भी हम हम बिखरे हुए है। आपसी तनाव आपसी झगडे . .
अब बदलाव का समय है .
क्षत्रियों की कुर्बानियों के कारन ही च्कर्वती राजा भरत का यह " भारत" देश विश्व के मानस पटक पर सीना ताने खड़ा है
पान सिंह तोमर के कुछ चित्र आप से साझा कर रहा हूँ .
की मौत हुई..