काशी नरेश ने कहा कि मैं किसी प्रकार का मादक द्रव नहीं ले सकता। क्योंकि मेंने मादक द्रव्य लेना छोड़
क्योंकि मादक द्रव मैंने त्याग दिये है। न मैं शराब पीता हूं, न सिगरेट पीता हूं, मैं चाय भी नहीं पीता। तो
पीड़ा होगी, और आप चीखे-चिल्लाए, उछलने-कूदने लगे तो बहुत मुशिकल हो जाएगी। आप सह नहीं
पाएंगे। उन्होंने कहा कि नहीं, मैं सह पाऊंगा। बस इतनी ही मुझे आज्ञा दें कि मैं अपना गीता का पाठ करता
रहूँ। तो उन्होंने प्रयोग करके देखा पहले। उँगली काटी। तकलीफ़ें दीं, सूइयाँ चुभायीं, और उनसे कहा कि आप
अपना…..वे अपना गीता का पाठ करते रहे। कोई दर्द का उन्हें पता न चला। फिर ऑपरेशन भी किया गया।
वह पहला ऑपरेशन था पूरे मनुष्य जाति के इतिहास में, जिसमें किसी तरह के मादक-द्रव्य का कोई प्रयोग
नहीं किया गया। काशी नरेश पूरे होश में रहे। ऑपरेशन हुआ। डाक्टर तो भरोसा न कर सके। जैसे कि लाश
पड़ी हो सामने, जिंदा आदमी ह हो मुर्दा आदमी हो। ऑपरेशन के बाद उन्होंने पूछा कि यह चमत्कार है,
आपने क्या क्या? उन्होंने कहा, मैंने कुछ भी नहीं किया। मैं सिर्फ होश सम्हाले रखा। और गीता पढ़ता रहा,
और गीता जब मैं पढ़ता हूं, इसे जन्म भर से पढ़ रहा हूं। और गीता जब मैं पढ़ता हूं….. फिर मेरे चारों और
क्या हो रहा इस की मुझे कुछ फिकर नहीं रहती है। मैं तो स्वय में डूब जाता हूं। और एक दीपक जलता
रहता है बहार। और में अपने होश को मात्र सम्हाले रहता हूं।
एसे हमारे राजा महाराजा होते थे ...... जिनकी कहानियां आज पढने को भी नही मिलती .... हाँ इश्क विश्क के बारें मे पूछ सकते है कुछ भी बच्चो से .. मैं मानता हूँ इस मे सारा का सारा दोष हमारी सरकारों का है जिन्होंने sylabus से इन सब कहानियों को गायब सा कर दिया है .... इस बारें मे सोचने की जरुरत है ..आजकल फिल्मो को देख कर बचे भी बंदर छाप हो रहे है .देश धर्मं और परिवारवाद समाप्त हो रहीं है ..... लिखना बहुत कुछ चाहता हूँ..समय का आभाव है इसका जीकर अगले चिट्ठे मे करूँगा .....
आपका कँवर विक्रांत सिंह
आपका कँवर विक्रांत सिंह
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